केंद्र सरकार ने सहारा समूह की सहकारी समितियों में निवेश करने वाले डिपोजिटर्स को राहत प्रदान करने के लिए CRCS-सहारा रिफंड पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल का उद्देश्य संकटग्रस्त सहारा समूह के डिपोजिटर्स को उनके निवेश की वापसी करना है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 18 जुलाई, 2023 को इस पोर्टल की शुरुआत की गई।
सहकारी समितियाँ: एक नजर
सहारा समूह की बहु-राज्य सहकारी समितियाँ, जिनके अंतर्गत सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (लखनऊ), सहारायन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसाइटी लिमिटेड (भोपाल), हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (कोलकाता), और स्टार्स मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (हैदराबाद) शामिल हैं, इस पोर्टल के तहत शामिल हैं।
डिजिटल संवितरण प्रक्रिया: सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में
इस रिफंड प्रक्रिया की निगरानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त जस्टिस आर सुभाष रेड्डी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 29 मार्च, 2023 को दिए गए आदेश के तहत, सेबी-सहारा रिफंड खाते से 5,000 करोड़ रुपये CRCS को हस्तांतरित किए थे। यह राशि सहारा समूह के डिपोजिटर्स को वापस करने के लिए उपयोग की जा रही है।
रिफंड वितरण: अब तक का विवरण
केंद्रीय मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने लोकसभा में जानकारी दी कि अब तक 4,29,166 जमाकर्ताओं को 369.91 करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप उठाया गया है, जिसमें 31 दिसंबर, 2024 तक सभी जमाकर्ताओं को उनकी राशि लौटाने का निर्देश दिया गया है।
सेबी के आदेश: सहारा समूह की संपत्तियों की वसूली
सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) को सेबी को 25,781.37 करोड़ रुपये वापस करने का आदेश दिया था। 31 मार्च, 2024 तक, सेबी ने सुप्रीम कोर्ट और अपने खुद के कुर्की आदेशों के ज़रिए 15,775.50 करोड़ रुपए वसूल किए हैं।
राष्ट्रीयकृत बैंकों में निवेश: वसूल की गई राशि का प्रबंधन
मंत्री ने बताया कि वसूल की गई राशि को राष्ट्रीयकृत बैंकों में सावधि जमा में निवेश किया जा रहा है, जिससे जमा राशि पर ब्याज मिल रहा है। यह कुल राशि ब्याज सहित 20,894 करोड़ रुपए हो चुकी है।
आगे की प्रक्रिया: अंतिम तिथि और संभावनाएँ
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, सभी डिपोजिटर्स को 31 दिसंबर, 2024 तक उनकी राशि वापस की जानी है। यह प्रक्रिया अभी भी जारी है और सरकार एवं अदालत की सख्त निगरानी में है।